भारतीयों को नींद क्यों नहीं आती?

भारतीयों को नींद क्यों नहीं आती?

भारत में हाल में हुए एक अध्ययन से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस अध्ययन के अनुसार 93 फीसदी भारतीयों को पूरी नींद हासिल नहीं हो पाती है। माना जाता है कि मेहनत-मजदूरी का काम करने वाले दिन भर की शारीरिक थकान के बाद रात में लंबी तानकर सोते हैं मगर यह अध्ययन इस प्रकार कि कहावतों को झुठलाता है। नींद की इस कमी के लिए आम लोगों के जीवन में पैठ बना चुके स्मार्टफोन तथा अन्य तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तथा तेजी से बदलती जीवनशैली को दोष दिया जा रहा है।

उपभोक्ता सामान बनाने वाली एक कंपनी की ओर से कराए गए इस अध्ययन ने यह भी खुलासा किया है कि नींद की कमी के शिकारों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। खास बात यह है कि डिस्टर्ब नींद के शिकारों को कई बार यह अहसास भी नहीं होता कि वे नींद की कमी के शिकार हो चुके हैं। अध्ययन की खास बात यह है जिन महिलाओं में नींद की कमी पाई गई उनमें से अधिकांश डिप्रेशन और किसी न किसी तरह की एंजायटी की शिकार भी पाई गईं।

नींद से संबंधित बीमारियों में नारकोलेप्सी, इंसोम्‍निया और स्लीप एप्निया प्रमुख हैं। नियमित रूप से नींद ले पाने में विफल रहने पर लोग तनाव का भी शिकार हो जाते हैं और इससे बचने के लिए लोग नींद की दवाओं का सहारा लेने लगते हैं जो कि स्थिति को और खराब कर देता है। इन दवाओं के कारण लोगों को  सुस्ती, पढ़ने में परेशानी, सांस की कमी, भूख में कमी और चक्कर आदि की शिकायत होने लगती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद्मश्री डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि भारतीय चिकित्सा जगत के लिए नींद की बीमारियां आज बड़ी चिंता का कारण बन गई हैं। तनाव, लैपटाप और स्मार्टफोन की लत और अस्वास्‍थ्यकर जीवनशैली इन बीमारियों की मुख्य वजह है। नींद की जितनी भी बीमारियां हैं उनमें स्लीप एप्निया सबसे चिंताजनक है क्योंकि यह खून में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है। इसके कारण संबंधित व्यक्ति नींद के दौरान ठीक से सांस लेने में दिक्कत महसूस करता है। चिंता की बात यह है कि लोगों को इस समस्या का पता भी नहीं होता क्योंकि इसका एकमात्र लक्षण खर्राटे हैँ और लोग खर्राटों को सामान्य बात मानते हैं। इसके कारण स्थिति और बिगड़ जाती है।

वैसे इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स के अलावा अन्य कारण मसलन, एलर्जी, ठंड, श्वसन तंत्र के संक्रमण जैसे कारक भी रात में सांस लेना मुश्किल बना देते हैं और ये नींद को डिस्टर्ब करते हैं। इसके अलावा हड्डियों की बीमारियां से होने वाला दर्द, पेट की बीमारियां, लगातार रहने वाला सिरदर्द, रीढ़ का दर्द और इस जैसे अनगिनत कारण हैं जो आम लोगों की नींद के दुश्मन हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो कोई भी गंभीर बीमारी अपने साथ नींद की कमी की बीमारी को साथ लेकर आती है।  ऐसे में नींद की बीमारी का इलाज भी इसके कारण पर ही निर्भर होता है। जिस भी वजह से नींद न आने की समस्या हो रही हो उस वजह को ठीक करने से ही इसका इलाज हो सकता है। 

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